शाहीन बाग की औरतें खुद को ही शाहीन बाग नाम देना चाहती हैं. उनका विरोध है, नागरिकता कानून, एनपीआर और एनआरसी से. देश में नागरिकों के लिए कानून, क्योंकि नागरिकों की बिना सहमति के बनाए जाते हैं- इसी सवाल के साथ पिछले एक महीने से हजारों की संख्या में धरने पर बैठी हैं. 10 जनवरी से कानून लागू भी हो गया है, पर इन औरतों को अब भी आस है कि उनका प्रदर्शन और धरना रंग लाएगा. दिलचस्प यह है कि इनमें से अधिकतर एक्टिविस्ट नहीं. शब्दों की जादूगर भी नहीं. वे सिर्फ शब्दों की अर्थवत्ता की रक्षा के लिए काम कर रही हैं. अधिकतर खामोशी से बैठी हैं, पर यह खामोशी बता रही है कि कहीं कुछ गड़बड़ है. इस खामोश प्रतिरोध के साथ वे कह रही हैं कि वे यहां हैं और यहीं रहेंगी. अपने मुस्लिमपने और हिंदूपने के साथ वैसे ही रहेंगी. औरतों ने कई सालों के दौरान अनेक प्रकार से अपने विरोध दर्ज कराए हैं. दुनिया के हर कोने में. हजारों-लाखों की संख्या में. ऐसे ही 6 प्रदर्शनों के बारे में जानिए.